Additional information
| Weight | 10 gm |
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Original price was: Rs.650.00.Rs.550.00Current price is: Rs.550.00.
– मोटाई: 0.8 से 1 सेमी., यानी लगभग पेंसिल के बराबर।
– रंग: गहरा हरा, एकदम चमकदार।
– उपयोग: हरी मिर्च और लाल मिर्च (गहरा लाल रंग) दोनों की खेती के लिए उपयुक्त।
– तीखापन: अति तीखा सेगमेंट (75,000–80,000 SHU)।
– लंबाई: 3.5 से 4 इंच।
– बीज की मात्रा: 100–120 ग्राम प्रति एकड़।
– बीज संख्या: 10 ग्राम में लगभग 1600 बीज।
– फल की सतह: हल्की सलवटों के साथ चिकनी (smooth)।
– औसत वजन: प्रति मिर्च 6–7 ग्राम।
– तुड़ाई: हर 12–15 दिन के अंतराल पर 6–10 तुड़ाई संभव।
– पौधा: मजबूत और छतरीनुमा।
बीज बुवाई और पौध तैयार करना:
– पौध बुवाई समय: पूरे साल संभव, फिर भी जुलाई से मार्च सबसे बेहतर।
– बीज उपचार: थायरम या कैप्टान @ 2g प्रति किग्रा बीज।
– क्यारियाँ: 8–10 से.मी. ऊँची, 1 मी. चौड़ी।
– गोबर की सड़ी खाद मिलाएँ।
– बीज कतारों में 8–10 से.मी. की दूरी पर बोएँ।
– अंकुरण: 8–12 दिन।
– रोपाई योग्य पौधे: 25–30 दिन में तैयार।
खेत की तैयारी:
– पौध रोपाई से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई करें।
– गोबर की खाद (इच्छानुसार) डालें।
पौध अंतराल (Spacing):
– बैड की चौड़ाई: 1.5-2 फीट, 1.5-2 फ़ीट चौड़े बैड पर एक फ़ीट के अंतराल पर 2 लाईन लगानी हैं।
– पौधे से पौधे की दूरी: 1 फीट।
– एक बैड की लाइन से दूसरे बैड की लाइन की दूरी: 4-5 फीट।
प्रति एकड़ खाद और उर्वरक (खेत तैयार करते समय):
– DAP 30 किग्रा
– MOP 20 किग्रा
– जिंक 33% 7-10 किग्रा
– 1.5-2 फीट चौड़ी पीठ वाले बैड तैयार करें।
फसल वृद्धि और पोषण प्रबंधन (Fertigation/drenching Schedule):
रोपाई के 10 दिन बाद (ग्रोथ के लिए):
– 3kg NPK (19:19:19) + 750g ह्यूमिक एसिड (98%) + 300g माइकोराइज़ा (घुलनशील)।
रोपाई के 25 दिन बाद (ग्रोथ के लिए):
– 4kg NPK (19:19:19) + 1kg ह्यूमिक एसिड (98%) + 400g माइकोराइज़ा।
रोपाई के 40 दिन बाद (फूल व फल के लिए):
– 4kg कैल्शियम नाइट्रेट + 4kg माइक्रो न्यूट्रिएंट मिश्रण + 2kg NPK (0:52:34) + 300g बोरॉन (20%)।
हर तुड़ाई पर/उपरांत (ग्रोथ डोज़):
– 4kg NPK (19:19:19) + 1kg ह्यूमिक एसिड (98%) + 400g माइकोराइज़ा।
हर तुड़ाई के 8 दिन बाद (फूल व फल डोज़):
– 5–6kg कैल्शियम नाइट्रेट + 4-5kg माइक्रो न्यूट्रिएंट मिश्रण + 3kg NPK (0:52:34) + 400g बोरॉन (20%)।
प्रत्येक तुड़ाई पर “ग्रोथ डोज़” और तुड़ाई के 8 दिन बाद “फूल व फल डोज़” को लगातार रिपीट करें।
रोग और कीट प्रबंधन:
लीफ कर्ल / पत्ता मरोड़ / मरोड़िया / माथाबंदी (Sucking Pests से फैलने वाली): यह बीमारी पौध से लेकर आगे पौधे की किसी अवस्था मे भी आ सकती है। यह बीमारी किसी भी प्रकार के रस चूसक (sucking pest) मच्छर/कीड़े, सफेद मच्छर (white fly), माईटस, bugs, Mites इत्यादि के कारण आती है। इसलिए इन सब का इलाज ही इस बीमारी का इलाज है।
अगर खेत मे हरा मच्छर है तो:
– Imidacloprid 40% + Fifronil 40% का 8gm/16 ली. पानी मे स्प्रे करें और 8 दिन बाद दुबारा जरूर करें। या
– Imidacloprid 17.8% SL 12ml/16 ली. पानी से स्प्रे करें और 10 दिन बाद दुबारा से फिर करें।
अगर खेत मे हरा मच्छर, लट्ट/सुंडी और लीफ माइनर है तो:
– Spintoram 11.7% SC (Delegate) 20ml/16 ली. पानी से स्प्रे करें और 10 दिन दुबारा फिर से करें।
अगर खेत मे माईटस, बग्स और थ्रिप्स हैं तो:
– Fifronil 7% + Hexythiazox 2% SC (Simrao सुदर्शन क. का) 50ml/16 ली. से स्प्रे करें। 15-20 दिन बाद दुबारा स्प्रे करें, या
– Propargite 57%EC (Simbaa PI क. का) 50ml/16 ली. पानी मे स्प्रे करें।
अगर माईटस, बग्स और सफेद मच्छर (white Fly) है तो:
– Spiromesifen 22.9% SC (Oberon Bayer क. का) 16ml/16 ली. पानी मे स्प्रे करें।
अगर सिर्फ माईटस है तो:
– Abamectin 1.9% EC (Parijat क. का Abaddon), 10ml/15 लीटर पानी मे स्प्रे
अगर खेत मे हरा और सफेद मच्छर दोनों हैं तो:
– सफेद और हरे मच्छर के लिए आज के दिन यह सबसे अच्छा प्रोडक्ट है Fifro 10% + Diafenthiuron 30% w/w WG (घरड़ा क. का Guru) 35-40 ग्राम /16 लीटर पानी में अच्छे से स्प्रे करें, या
– Pyriproxyfen 8% + Dinotefuron 5% + Diafenthiuron 18% SC (बेस्ट अग्रि कंपनी का Ronfen या सुदर्शन कंपनी का Sutathion या घरड़ा कंपनी का Altima या JU कंपनी का Tridev) का 25-30ml/16 ली. पानी के साथ स्प्रे करें। सफेद हरे या यूं कहें कि हर प्रकार के सकिंग पैस्ट के लिए यह ट्रीटमेंट अच्छा रहेगा।
ध्यान रहे, ये बीमारी पौध में भी आ सकती है, तो उस समय इन सभी दवाइयों की डोज़ 20-25% कम कर दें।
उकठा (Wilt / Root Rot / Fusarium Wilt):
– कारण: भूमि जनित फंगस और अधिक नमी।
– लक्षण: पत्तियाँ झुककर पीली पड़ना, पौधा सूख जाना।
रोकथाम:
– गहरी जुताई।
– प्रभावित खेत में अगली बार मिर्च की खेती न करें।
– ट्राइकोडर्मा से मृदा उपचार (1kg ट्राइकोडर्मा + 25kg गोबर की खाद प्रति एकड़)।
रसायनिक उपचार:
– कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% WP या
– मैनकोज़ेब 63% + कार्बेन्डाजिम 12% WP → 600–800g प्रति एकड़।
खरपतवार नियंत्रण:
– हाथ से निराई-गुड़ाई करें।
– प्लास्टिक मल्च का प्रयोग करें।
सिंचाई और मल्च:
– ड्रिप और मल्च का प्रयोग करने से बेहतर परिणाम।
– आवश्कता अनुसार सिंचाई करते रहना है।
– बिना मल्च भी करीना की खेती आसानी से संभव
“नोट: फसल की पैदावार स्थानीय जलवायु परिस्थितियों एवं प्रबंधन
पद्धतियों पर निर्भर करती है, अतः परिणाम क्षेत्र अनुसार भिन्न हो सकते हैं”
| Weight | 10 gm |
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